Tuesday, April 15, 2014

Article : केजरीवाल और राजनीती

Article : केजरीवाल और राजनीती

केजरीवाल ने जब शुरुआत की थी तब देश की जनता को उनसे बहुत उम्मीदे थी ,

 सोशल मीडिया पर क्या क्या उतार चढ़ाव आये और क्या है केजरीवाल की कमजोरी और खूबियां -

देश की जनता भ्रस्टाचार से पीड़ित होने के कारण उन्होंने केजरीवाल की जनलोकपाल में विचारधारा को बहुत उम्मीदों से देखा , उनके साथ अन्ना हज़ारे , किरण बेदी थे जिनका भ्रस्टाचार विरोधी आंदोलन और  भ्रस्टाचार  रोकने में बड़ा योगदान था ।
आर टी आई लाने के लिए के लिए अन्ना और केजरीवाल ने बड़ा योगदान किया था और कांग्रेस सरकार के दौरान यह पारित हुआ था , आर टी आई की ही देन  थी , जिस से देश में तमाम भ्रष्टाचारों का खुलासा हुआ ,
लेकिन सिर्फ खुलासा होने भर से भ्रष्ट  लोगों को सजा नहीं मिलती और आर टी आई के दौरान सुचना पाना  भी आसान प्रक्रिया नहीं है कई बार सुचना अधिकारी , प्रथम अपीलीय अधिकारी पूरी सुचना नहीं देते और मामला द्वितीय अपील तक पहुँचता है और इसका निस्तारण होते होते बहुत  समय लग जाता है , इस दौरान आर टी आई आवेदन कर्ताओं को कई बार तमाम कष्टों से गुजरना पड़ता है और कई बार इसकी कीमत अपनी जान दे कर चुकानी पड़ती है ।
देश की अदालतों में फैसले होने में बहुत लम्बा समय लगता है कई  फैसलों में उम्र भर गुजर जाती है , ऐसे में जन लोक पाल आम जनता को कम समय में व् कम खर्च में बड़ी राहत प्रदान करता है 
देश की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां जन लोक पाल और राजनीतिक पार्टियों को आर टी आई के दायरे में लाने में परेशानी महसूस करती हैं
और इस दिशा में पहल करने से घबराती हैं ।

शुरुआत तक तो सब ठीक था , लेकिन अरविन्द केजरीवाल की जिन बातों को सोशल मीडिया में विरोध हो रहा है वे निम्न हैं -
१. शुरुआत में केजरीवाल राजनीती से दूर रहने की बात करते थे , कहते थे की क्या हर आंदोलन करने वाला चुनाव लड़ेगा ।
लेकिन बाद में केजरीवाल ने अपनी पार्टी बनाई और चुनाव लड़ा

२. केजरीवाल ने बच्चों की कसम खा कर कहा कि में न किसी पार्टी से समर्थन लूंगा न ही समर्थन दूंगा ।
लेकिन बाद में कांग्रेस पार्टी के समर्थन से सरकार बनाई ।

३. केजरीवाल ने बिजली पानी में भ्रष्ट्राचार काम करके सस्ती बिजली पानी मुहैया कराने का वादा किया , जबकि बाद में सब्सिडी आधारित व्यवस्था
के तहत बिजली , पानी में राहत की घोषणा की ।
 हालाँकि यह अभी विवाद का विषय है की यह व्यवस्था सही थी की नहीं , लेकिन सस्ती बिजली पानी भ्रष्ट्राचार  को कम करके नहीं दी गयी

सबसे बड़ा विवाद का विषय तब बना जब उन्होंने बिजली आंदोलन के दौरान अपने समर्थकों को जिन्होंने विरोध स्वरुप बिजली का बिल अदा नहीं किया उनको बिल अदायगी में 50 फीसदी सब्सिडी की राहत  की घोषणा कर दी ,
उसके बाद मामला अदालत पहुंचा और अदालत ने इस सब्सिडी पर रोक लगा दी ,
अदालत में दाखिल पी आई एल में कहा गया की - बिजली बिल अदायगी न करने वालों को दंड देने की जगह अपने समर्थकों को इनाम दिया जा रहा है ,
देखिए - http://www.ndtv.com/article/cities/delhi-high-court-halts-implementation-of-ex-aap-government-s-waiver-on-power-bills-485372
(

The PIL has been filed against former Delhi government's announcement of 50 per cent waiver on electricity bills of people who defaulted in payment, saying it will "spread chaos and anarchy by rewarding defaulters instead of penalising them.)
 

४. केजरीवाल ने वी आई पी कल्चर ख़त्म करने की बात कही और उनकी मंत्री  राखी बिड़लान पहले दिन ऑटो से पहुँची और उसके अगले दिन से
इनोवा टयोटा गाड़ी से आने जाने लगीं , वी आई पी कल्चर की परिभाषा लाल बत्ती ख़त्म करने से दी गयी , लेकिन सामान्य जन वी आई पी कल्चर के मायने तड़क भड़क शानो शौकत से रहने को भी समझता है ।
मानते है की जो मंत्री लाखों करोड़ों लोगों को सर्विस देने के लिए बने हैं उन्हें अच्छी सुविधाएँ मिलना जरूरी हैं , क्यूंकि छोटी मोटी कंपनी के मालिक के पास ही गाड़ी , बंगला और तमाम सुख सुविधाएँ होती हैं , और मंत्री के सेक्रेटरी ही कार , बंगले आदि की सुविधाओं से लेस होते हैं
तो मंत्री को सुविधाएं देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए ।
लेकिन ये मंत्री देश की आम जनता के सेवक होने का स्वांग भर करके चुन कर आते हैं , देश का आम इंसान गरीबी व जन सुविधाओं की किल्लत से जूझ रहा है तो ऐसे मंत्रियों में त्याग की भावना होना बहुत जरूरी है जिस से देश की आम जनता की परेशानी समझ सकें ।
इसलिए मंत्रियों से उम्मीद की जाती है के वह सामान्य जन की तरह  करें
अन्ना हज़ारे ने इस बारे में कहा है की अरविन्द में त्याग की बहुत कमी है और वह भी सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता की रेस में शामिल हो गए हैं

५. केजरीवाल का सबसे ज्यादा विरोध कश्मीर पर उनकी नीति के बारे में हो रहा है , जिसमें उनकी पार्टी के सदस्य प्रशांत भूषण ने कश्मीर में वोटिंग के जरिये कश्मीर के देश से अलग होने न होने पर बात कही है ।
इस बारे में केजरीवाल काफी लम्बे समय तक  चुप रहे और मीडिया द्वारा पूछने पर सवाल का जवाब टाला भी गया , इससे लोगों में सन्देश जाने लगा की
केजरीवाल भारत की अखंडता में आस्था नहीं रख रहे , लेकिन काफी समय बाद केजरीवाल जी ने कहा की में प्रशांत भूषण की कश्मीर पर दी गयी राय से
सहमत नहीं हूँ । यही बात अगर वह काफी पहले कहते तो सोशल मीडिया पर उनका इस मामले में तीव्र विरोध नहीं होता

अगर देश से एक हिस्सा अलग होता है तो देश से बाकि हिस्से पंजाब , असम , नार्थ ईस्ट आदि भी देश से अलग होने की मांग करने लगेंगे और अलगाव वादी ताकतें हावी होने लगेंगी
और क्या देश के सभी गली मुहल्लों में वोटिंग करा कर उनसे अलग देश या किसी और देश में शामिल होने की राय ली जानी चाहिए , इस तरह से देश
के टुकड़े टुकड़े हो जायेंगे ।  देश कमजोर हो जायेगा और देश के शत्रु  देश पर हावी हो जायेंगे ।
एक मजबूत देश के लिए अखंड भारत की बेहद आवश्यकता  है , हाँ यह जरूर किया जाना चाहिए की देश के सभी नागरिक खुशहाल बने , चाहे वे कश्मीरी हों
पंजाबी हों , उत्तर भारतीय , दक्षिण भारतीय ,  गुजराती , मराठी आदि

६. केजरीवाल बात बात अपनी बातों से पलट जाते हैं , उन्होंने कहा की चुनाव नहीं लड़ूंगा लेकिन लड़े , किसी से सपोर्ट ले कर कर सरकार नहीं बनाऊंगा लेकिन बनाई , उन्होंने कहा की में लोक सभा इलेक्शन नहीं लड़ूंगा लेकिन अब लोक सभा इलेक्शन लड़ रहे हैं ,
वे अपनी बात पर कायम नहीं रहते , इसलिए उनकी बातों में जनता को गंभीरता से नहीं ले रही है

७. उनके मंत्री सोमनाथ भारती पतंग उड़ाते हैं और दस्त का बहाना बना कर महिला आयोग नहीं जाते और ऐसे मंत्री पर कोई कार्यवाही भी नहीं होती ,
ऐसे ही राखी बिड़लान की कर का शीशा बच्चे की गेंद से टूट जाता है , बच्चे द्वारा माफी मांगने के बावजूद भी ऍफ़ आई आर होती है और इस आतंकवादी घटना बताया जाता है
ऐसे मंत्रियों पर कोई कार्यवाही नहीं होती

ऐसे ही कई घटनाक्रम हैं , जिनसे केजरीवाल की लोक प्रियता में गिरावट आयी है
हालाँकि केजरीवाल का जन लोक पाल मुद्दा , राजनीतिक पार्टियों को आर टी आई के दायरे में लाना , ग्राम व्यवस्था को अधिक स्वायत्ता देना आदि अच्छे
रास्ते हैं , लेकिन जबसे केजरीवाल ने दिल्ली सरकार छोड़ी और परफॉर्म करके नहीं दिखा सके ,
ऐसे में जनता के बीच उनके प्रति विश्वास की कमी हो गई है

दुसरी तरफ नरेंद्र मोदी के सुरक्षा व विकास वाद मुद्दे आम जनता के बीच हावी होने लगे हैं
गुजरात में २००२ के बाद से शांति व्यवस्था कायम है , गुजरात में सुचारू बिजली व्यवस्था है और बिजली की कमी नहीं है 
बी बी सी आदि ने गुजरात को तेजी से बढ़ती इकोनॉमी बताया है




http://archive.indianexpress.com/news/land-act-a-fraud-learn-from-gujarat-says-sc/827449/


http://www.bbc.com/news/world-asia-india-17919364
 (Gujarat IS a red hot economy)

http://www.bbc.co.uk/news/business-17156917
(Gujarat state in the fast lane of Indian economy)
No power cuts
But the biggest reason for Gujarat's popularity is that unlike most of India it is a power-surplus state.
Mr Banerjee says: "We don't need a captive generator to run our plant here. This is the only plant I have out of the 17 plants in seven states in India that doesn't need a backup generator."
Other than coal-based thermal power plants, the state leads the country in solar energy usage.
The Asian Development Bank recently approved a $100m loan to Gujarat to build a 500 megawatt solar park.



 अमेरिकी अखबार ने की नरेंद्र मोदी की तारीफ
 अखबार ने अपने संपादकीय में मोदी और भाजपा को लेकर तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी आलोचकों की आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए कहा कि उन्होंने 'मुस्लिम विरोधीÓ रुख छोड़ दिया है। अखबार ने इस आशंका को भी खारिज किया है कि मोदी की सरकार बनने के बाद लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होंगी। या धार्मिक उन्माद बढ़ेगा
- http://www.bhaskar.com/article-hf/INT-indias-narendra-modi-should-build-on-his-successes-not-his-prejudicial-rhetoric-4574613-NOR.html



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अंत में यही कहना चाहेंगे की देश की सबसे बड़ी उपलब्धि तब होगी जब देश की जनता को उसकी वास्तविक ताकत अर्थात जन लोक पाल मिले 

देश में जनता के हाथ में शक्ति अर्थात जन लोक पाल व्यवस्था जनता को दी जानी चाहिए ,
जिस से भ्रस्टाचार  से पीड़ित आम इंसान देश की खर्चीली और लम्बी न्यायिक व्यवस्था की जगह सरल मॉडल को अपना सके
देश के सामरिक व रण नीतिक व्यवस्था को इस दायरे से मुक्त रखा जा सकता है ,
लेकिन इस दिशा में अभी बहुत काम होना बाकि है , फिलहाल अच्छे व्यक्ति, अच्छी पार्टी  को चुनाव में जिताएं और देश को मजबूत बनायें
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