Tuesday, September 30, 2014

72,825 शिक्षक भर्ती: खुशी मनाइए, जल्द मिलेगी नौकरी

72,825 शिक्षक भर्ती: खुशी मनाइए, जल्द मिलेगी नौकरी

प्राइमरी स्कूलों में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद टीईटी प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराने के बाद ही नियुक्ति पत्र जारी किया जाएगा

सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने कहा कि इससे धोखाधड़ी कर नौकरी पाने की चाहत रखने वालों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि भर्ती के लिए 69 लाख आवेदन आए थे। कई आवेदकों ने तो 35 से 40 जिलों से अप्लाई किया था। भर्ती के ‌लिए अब तक दो चरणों में काउंसलिंग हो चुकी है, जिसके बाद कहा जा सकता है कि अब आवेदकों का इंतजार खत्म होने जा रहा है।

भर्ती के लिए दो बार काउंसलिंग हुई। वहीं, जारी की गई दूसरी मेरिट पर भी हायतौबा मच गई। गौरतलब है कि शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन नवंबर 2011 में जारी हुए थे लेकिन भर्ती प्रक्रिया लगातार टलती रही। इस भर्ती में पांच ऐसी मुश्किलें आईं जिन्हें आवेदक हमेशा याद रखेंगे।


ऐसा कभी नहीं हुआ होगा कि एक पद के लिए आवेदक को 30 से 35 हजार रुपये का आर्थिक भार उठाना पड़ा हो। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई वर्ष 2011 के 72825 सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों की नियुक्ति प्रक्रिया में यही हुआ।

मायावती सरकार में पहले अधिकतम पांच जनपदों में आवेदन का विकल्प दिया। 500 प्रति जनपद शुल्क जमा कराया। फिर इसी शुल्क पर प्रदेश के सभी जनपदों में आवेदन की छूट दे दी गई।

फिर अखिलेश सरकार में इन्हीं पदों के लिए नए सिरे से आवेदन मांगे। प्रत्येक जनपद के लिए आवेदन का शुल्क 500 रुपये निर्धारित किया। ऐसे में जनपद वार नियुक्तियां होने की स्थिति में ज्यादातर आवेदकों ने औसतन 40 से 45 जनपदों में आवेदन किए और 20 से 25 हजार रुपये आर्थिक भार उठाया।

इससे आवेदकों पर आर्थिक भार तो पड़ा ही, वहीं गलती सुधारने के लिए आए लगभग 70 लाख प्रत्यावेदन भी बेसिक शिक्षा विभाग के लिए आफत बन गए

सहायक शिक्षक भर्ती मामले में तकनीकी कारणों से भी आवेदकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शिक्षक भर्ती के लिए पहली मेरिट जारी होते ही ट्रैफिक इतना बढ़ गया कि साइट ही बैठ गई।

कई जिलों में वेबसाइट खुल नहीं सकी। इस पर सचिव बेसिक शिक्षा हीरालाल गुप्त ने तकनीकी समस्या पर विचार और निराकरण के लिए में बैठक बुलाई थी।

कई जिलों में पांच दिनों बाद आवेदक अपना विव‌रण सके। इसके अलावा, टीईटी मेरिट में इतनी गलतियां थी कि आवेदकों के लिए प्रत्येक जिले में जाकर गलतियां सुधरवाना एक चुनौती बन गया।

बहुत से अभ्यर्थियों के टीईटी अंक गलत चढ़े हुए थे। नाम, जन्म तिथि आदि की गड़बड़ियां बहुत ही ज्यादा थीं


3. काउंसलिंग को लेकर हुआ बवाल

टीईटी 2011 में उत्तीर्ण कुछ अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल न किए जाने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। एक याची के अधिवक्ता के अनुसार टीईटी 2011 का परिणाम 25 नवंबर 2011 को घोषित कर दिया गया।

तमाम ऐसे अभ्यर्थी थे जिनका परिणाम हाईकोर्ट के आदेश पर देर से फरवरी और मार्च 2012 में घोषित किया गया। तब तक शिक्षक पदों के लिए आवेदन की प्रक्रिया समाप्‍त हो चुकी थी। इन अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट से भर्ती प्रक्रिया में शामिल किए जाने की मांग की थी।

जिसे संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था। अभ्यर्थियों का यह भी कहना था कि प्रशासकीय हीला-हवाली का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है, जो कि सही नहीं है

4. टीईटी मेरिट पर हुई मुश्किल


शिक्षक भर्ती में तीसरी बड़ी मुश्किल तब आई जब अखिलेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से टीईटी की मेरिट के आधार पर शिक्षकों के चयन के इलाहाबाद के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की अपील की।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों के चयन टीईटी की मेरिट के आधार पर किए जाने का आदेश दिया था और बसपा सरकार में 30 नवंबर, 2011 को जारी हुए भर्ती विज्ञापन को सही ठहराया था। जबकि अखिलेश सरकार ने 31 अगस्त 2012 के शासनादेश को रद्द कर दिया था।

अखिलेश सरकार का कहना था कि अगस्त, 2012 के शासनादेश को रद्द करने और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में जारी किए गए नवंबर, 2011 को जारी भर्ती विज्ञापन को सही ठहराए जाने के हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है।

सपा सरकार ने 2012 में जारी किए गए शासनादेश में टीईटी को मात्र अर्हता माना था और चयन का आधार शैक्षणिक गुणांक कर दिया गया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के इनकार कर दिया।


5. नये प्रारूप ने बढ़ाई दिक्कतें

प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में पहली मेरिट आने के बाद प्रत्यावेदन का नया प्रारूप भी आवेदकों के लिए परेशानी का सबब बना। अभ्यर्थियों के अनुसार एक्सेल फॉर्मेट में जारी नए प्रारूप में कुछ और सूचनाएं मांगी गईं।

ऐसे में समझ में नहीं आ रहा है कि पहले कम सूचनाओं के साथ भेजे गए प्रत्यावेदन फॉर्म स्वीकार होंगे या नहीं।

वहीं राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने प्रारूप में किसी भी तरह का परिवर्तन होने से इंकार कर दिया था।

बहरहाल, शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अब पूरी होती हुई नजर आ रही है। लेकिन, ये कुछ ऐसी दिक्कतें थीं, जिसे आवेदनकर्ता हमेशा याद रखेंगे

News Sabhaar : Amar Ujala (30.9.14)

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