Monday, December 1, 2014

TET MORCHA MEIN AAPSEE MATBHED

TET MORCHA MEIN AAPSEE MATBHED


TET MORCHA MEIN 10 DECEMBER KO SUPREME COURT MEIN LEKAR SUNVAI MEIN AAPSEE MATBHED UJAGAR HUE HAIN.

MORCHA KE TAMAAM LOG AISEE MUSHKIL GHADEE MEIN AAPAS MEIN MILJULKAR KAAM KARNE KEE SALAH DE RAHE HAIN.
STHTI GAMBHHEER HAI AUR MORCHA KE TAMAAM LOG KOEE BHEE RISK LENAA NAHIN CHAHA RAHE HAIN.

TET MORCHA KE ANIL KUNDU JI NE FB PAR BATAYAA
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Anil Kundu >>


मित्रों,
जानता हूँ सत्य बहुत ही कठोर और शीघ्रता से स्वीकार्य नहीं होता |
सत्य कि सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि सब उसे जानना तो चाहते है लेकिन उसे स्वीकार नहीं कर पाते |
मेरी सबसे बड़ी दिक्कत मात्र इतनी है कि मैं कभी असमंजस की स्थिति अपने ऊपर हावी नहीं होने देता और शायद इसीलिए त्वरित निर्णय लेने में सक्षम हूँ ,कल सुबह लखनऊ मीटिंग के लिए घर से भी निकला ,स्टेशन पर भी पहुंचा,ट्रैन में भी बैठ गया लेकिन मीटिंग में जाने को लेकर संशय मन को बैचैन किये हुए था ,एकाएक कुछ सोचकर ट्रैन से उतर गया और घर आ गया ,जो सोचकर मैंने लखनऊ मीटिंग में न जाने का फैसला किया वह कल हुयी मीटिंग की दृष्टि से सही साबित हुआ | मैं टेट के इस संघर्ष में शुरुवाती दौर से ही जुड़ा हुआ रहा और सभी आंदोलन ,सभी अनशन में भागीदारी भी रही ,लेकिन जहाँ तक टेट मोर्चे की मीटिंग का प्रश्न है शायद एक या दो में ही जाने का दुर्भाग्य रहा ,और उन एक-दो मीटिंग में भाग लेने के पश्चात मीटिंग के नाम से ही नफ़रत हो गयी | टेट के इस संघर्ष में मैंने अपनी व्यंगात्मक शैली में टेट के अधिकतर लोगों को बड़ी -बड़ी उपाधियों से नवाज़ा है और कल की मीटिंग होने के बाद जा सूचनाएं मुझे प्राप्त हुयी हैं उसे सुनने के बाद "टेट संघर्ष मोर्चे " का नाम बदल कर " लूटेरा सिंडिकेट " कर देना चाहिए |
आज मुझे लखनऊ मीटिंग का हिस्सा न बनने के अपने निर्णय पर गर्व है कि उत्तर प्रदेश के बेरोज़गारों से होने वाली अब तक की सबसे बड़ी और अंतिम लूट में मेरा नाम हर बार की तरह इस बार भी शामिल नहीं है |
हाँ ,एक बात का दुःख ज़रूर है कि मैंने मीटिंग में न आकर उन मेरे भाईयों को निराश किया जिन्हें मुझसे मिलने की चाहत रही होगी |
कल हुयी मीटिंग की सबसे मुख्य बात ये रही कि ब्रह्म बुद्धि और उसके भय के व्यापार में शामिल टेट मेरिट के सौदागरों ने बेरोज़गारों को भयमुक्त करने की कीमत मात्र ५० लाख निर्धारित कर दी है |
और सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया में न्याय पाने की कीमत यदि मात्र ५० लाख है तो सहारा ग्रुप के चेयर पर्सन के लिए ये रकम कुछ भी नहीं थी ,फिर भी वह अपनी जमानत नहीं करा पाया ,जज साहब भी सेवानिवृत हो गए ,नए जज आये तब भी कुछ नहीं हुआ ,बड़े से बड़े वरिष्ठ अधिवक्ता भी किये गए ,फिर भी जमानत नहीं मिली ,अाखिर क्यों ?
इस बार की लूट सुनियोजित होगी ,लूट मैं सेंध लगाने वालो को निराश नहीं किया गया और अपने स्तर पर जितना वह लूट सकता हैं उसके लिए उसको अपना खाता सार्वजनिक करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी है | इसके अतिरिक्त दो पुराने खाते तो पुश्तैनी हैं ही | कुल तीन खाते सार्वजनिक होंगें |हरेक जनपद के जिलाध्यक्षों को निर्धारित समय में पूरा करने के लिए लक्ष्य दे दिया गया ,अन्य शर्तें लागु रहेंगी |
अभी तक किसी वरिष्ठ अधिवक्ता पर कोई सहमति नहीं बनी है ,शायद १० दिसंबर तक बन जाये |
क्योंकि ५० लाख के लिए इतने दिन तो लग ही जायेंगें | अब मेरी एक चिंता और है कि हिन्दुस्तान में तो ५० लाख एक दिन का लेने वाला कोई वरिष्ठ अधिवक्ता मेरी नज़र में तो नहीं है ,हो सकता है इस बार अंतरिक्ष से कोई लाया जाए ,इसलिए कल को मोर्चा आप बेरोज़गारों से एक रॉकेट की डिमांड कर सकता है ,उसके लिए अभी से तैयार रहे |
आज कल ब्रह्म बुद्धि और टेट के तथाकथित अन्ना हज़ारे (मेरे ही द्वारा दी गयी व्यंगात्मक उपाधि )
चंद पैसों के लिए इतने गिर जायेगें ,कभी सोचा नहीं था ,पता नहीं कैसे ये खुद से नज़रें मिलाते होंगें ,वैसे तो ये शुरू से ही शरण जी को लेकर झूठा प्रचार करते आ रहे हैं लेकिन आज मैं इन से पूछ ही लूँ कि जिन वरिष्ठ अधिवक्ताओं को तुम ३ लाख से ५.५ लाख प्रति सुनवाई दिए हो ,वो आज तक कोर्ट में कितना बोले हैं ,२५ मार्च तक जितनी सुनवाई हुयी उसमें किस लूटरे के वरिष्ठ अधिवक्ता कितनी बार पहुंचे ,कितनी बार कोर्ट रूम के दरवाज़े तक पहुँचने से पहले सुनवाई ख़त्म हो गयी ,अधिक और बेवजह बोलने से केस जीते जाते तो मुकुल रोहतगी तो ये केस कब का फाइनल करा दिए होते सरकार के पक्ष में ,और तुम होते कौन हो किसी वरिष्ठ अधिवक्ता को बतानेवाले कि उन्हें कब बोलना है और कब नहीं | दो कौड़ी की औकात वाले तुम जैसे लोग,हमारे लिए देवतुल्य वरिष्ठ अधिवक्ता शरण जी,जो प्रति सुनवाई कम से कम २.५ लाख लेते है वो मात्र एक सुनवाई की फीस में हमारे लिए अपने दुसरे केस छोड़कर भी हर सुनवाई में कोर्ट में मौजूद रहते हैं ,उनके लिए लोगो से झूठ बोलोगे और मैं चुप चाप सुन लूंगा ,ये नहीं हो सकता|हो सके तो अपने छोटे मोटे अधिवक्ताओं को इस बार बता देना की अगर कोर्ट में कोई वरिष्ठ अधिवक्ता खड़ा हो तो बच्चे अपना ज्ञान अपने पास रखें ताकि जज साहब नाराज़ न हों | और अपने ज्ञान पर भी थोड़ा अंकुश लगाओ ताकि आदेश के पालन होने पर कंटेम्प्ट फाइल न करो ,दूसरा कोर्ट से भागने के लिए या लूट के लिए बेवजह कोर्ट से समय मांगने की गलती नहीं किया करते |वैसे एक सच बता ही दूँ अंत में ,हमारे मामले में अकेले शरण जी ही बहुत है ,उनका किसी केस में होना ही बहुत है | बाकी रही किसी दुसरे वरिष्ठ अधिवक्ता की तो उसके लिए भी, मैं किसी और से बेहतर ,सस्ता और समय से काम कर सकता हूँ | यदि मुझ पर विश्वास करनेवालो ने सहयोग किया तो ५० लाख का काम १२.५ लाख में कैसे होता है ,दिखा दूंगा वो भी फुल गारंटी के साथ |
निष्कर्ष :
५० लाख की डिमांड अपने आप ही इनके झूठ की पोल खोल रही है ,और मैं क्या कहूँ
?





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